Motivational Short Story
Hindi Stories

“सूरज का  संघर्ष और सफलता की कहानी”

सूरज एक होनहार लड़का था। उसकी आँखों में सपने चमकते थे, आकाश छूने की ललक थी। बचपन से ही वह पढ़ने में तेज था। कक्षा में हमेशा अव्वल रहता था। गाँव के सरकारी स्कूल में पढ़ते हुए भी सूरज का सपना था कि वह बड़ा होकर आईएएस बने । गाँव के बुजुर्ग उसे “साहेब” कहकर चिढ़ाते, तो माँ मुस्कुराती हुई कहती, “बेटा, ये ‘साहेब’ बनने का सपना है तो मेहनत भी इसी के हिसाब से करनी पड़ेगी।”

सूरज मेहनत तो खूब करता था, लेकिन उसके सपने के बीच एक बड़ी दीवार थी – गरीबी। उसके पिताजी गाँव के एक छोटे से खेत में मजदूरी करते थे। रोज़ की कमाई मुश्किल से दो जून की रोटी जुटा पाती थी, पढ़ाई का खर्च निकालना तो दूर की बात थी।

शहर के बड़े कोचिंग संस्थानों के विज्ञापन सूरज को आकर्षित करते थे, लेकिन फीस देखते ही उसकी उम्मीदें टूट जातीं। वह उन बच्चों को देखता, जो महंगे कोचिंग सेंटरों से पढ़कर निकलते थे, तो मन में जलन होती, लेकिन हार नहीं मानता था। गाँव के स्कूल के पुस्तकालय से किताबें लाकर रात-दिन पढ़ता। इसी बीच सूरज 12वी में टॉप कर गया । सूरज जनता था की आगे आईएएस के exam में पास होने के लिए उसे कोचिंग की आवश्यकता होगी , जिसमे बहुत सारे पैसे लगेंगे जो  फिलहाल सूरज की क्षमता से बाहर थी ।

एक शाम, सूरज उदास होकर घर लौट रहा था। रास्ते में एक अख़बार का टुकड़ा हवा में उड़ता हुआ आया और उसके पैरों से टकराया। उसने उठाकर देखा तो एक विज्ञापन था – “प्रतिभा की  खोज ” प्रतियोगिता । उस प्रतियोगिता में टॉप करने वाले छात्र को देश के प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान में निःशुल्क आईएएस की तैयारी कराने का ऑफर था। सूरज मानो बिजली का झटका लगा हो। यह मौका चूकने वाला नहीं था।

अगले कुछ दिन सूरज के लिए जुनून के दिन बने रहे। वह पुस्तकालय से घंटों किताबें पढ़ता, रात में तेल का दीया जलाकर नोट्स बनाता। गाँव के ही एक रिटायर्ड शिक्षक से मार्गदर्शन लेता। इस दौरान उसकी माँ ने भी उसका पूरा साथ दिया। रात को देर से पढ़ता तो वह चाय बनाकर लातीं, पिताजी उसे ढाढस बंधाते।

प्रतियोगिता का दिन आया। सूरज घबराया हुआ था, शहर के पढ़े-लिखे बच्चों के बीच वह खुद को थोड़ा कमतर महसूस कर रहा था। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने पूरे मन से परीक्षा दी। कुछ हफ्तों बाद रिजल्ट आया। सूरज का नाम सबसे ऊपर था! वह प्रतियोगिता में अव्वल आया था।

खबर गाँव में आग की तरह फैली। गाँव वालों के चेहरे गर्व से चमक उठे। सूरज के पिताजी की आँखों में खुशी के आंसू थे। अब सूरज को देश के सर्वश्रेष्ठ कोचिंग संस्थान में निःशुल्क आईएएस की तैयारी करने का मौका मिल गया था।

अब सूरज के लिए एक नया अध्याय शुरू हुआ। शहर का माहौल, पढ़ाई का कठोर परिश्रम, प्रतियोगिता का दबाव – सब कुछ नया था। लेकिन सूरज ने हार नहीं मानी। सुबह से शाम तक क्लासरूम में कोचिंग लेता, रात में हॉस्टल के कमरे में घंटों पढ़ता। कई बार हार का ख्याल आता, लेकिन वह गाँव वालों की उम्मीदों, माँ-बाप के त्यागों को याद कर लेता और फिर से किताबों में डूब जाता।

उसका पहला प्रयास असफल रहा। मायूसी हुई, लेकिन टूटने नहीं दिया। कोचिंग संस्थान के अनुभवी शिक्षकों और गुरुओं ने उसका हौसला बढ़ाया। उन्होंने सूरज की कमियों को दूर करने में मदद की और उसे अगले प्रयास के लिए तैयार किया। दूसरे प्रयास में सूरज और भी अधिक मेहनत के साथ जुटा। उसने पिछली गलतियों से सीखा और अपनी कमजोरियों को दूर किया। इस बार पीटी की परीक्षा सूरज ने पास की , जो पिछले बार वह नहीं कर सका था । आईएएस के mains  परीक्षा में चंद महीने बाकी थे । इसी बीच सूरज ने अपनी पढ़ाई तेज कर दी थी , वह काफी टेस्ट सीरीज दे रहा था और काफी लग्न के साथ मेहनत कर रहा था ।

वो पढ़ाई के बीच अपनी पुरानी ज़िंदगी का भी स्मरण करता कि कैसे वो अपनी मेहनत और लग्न के कारण यहाँ तक पहुँचा ।

उस साल की आईएएस परीक्षा के नतीजे आने का दिन सूरज के जीवन का सबसे तनावपूर्ण दिन था। सुबह से ही बेचैनी बनी हुई थी। आखिरकार, रिजल्ट घोषित होने का समय आया। सूरज ने इंटरनेट पर अपना रोल नंबर डाला और स्क्रीन पर देखा – “चयनित”। खुशी के आँसू उसकी आँखों से छलक पड़े। उसने तुरंत अपने माता-पिता को फोन लगाया। फोन के दूसरी तरफ से खुशी के आंसू और बधाईयों का तांता लग गया।

कुछ ही समय में सूरज के घर पर खुशी का माहौल छा गया। गाँव वाले मिठाई बाँटने लगे। सूरज के पिता गर्व से बता रहे थे कि उनका बेटा अब आईएएस बन गया है। सूरज को देखने के लिए गाँव वालों की भीड़ उमड़ पड़ी। सभी उसे बधाई दे रहे थे, उनमें से कुछ तो वही बुजुर्ग भी थे जो उसे पहले चिढ़ाते थे। अब उनके मुँह पर सिर्फ प्रशंसा के शब्द थे।

सूरज ने अपने सपने को साकार करने के लिए जो संघर्ष किया था, वह अब गाँव के बच्चों के लिए प्रेरणा बन गया था। गरीबी की दीवार को फांदकर उसने सफलता हासिल की थी। उसका यह सफर उन सभी को एक संदेश देता था कि अगर दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत हो तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।

आईएएस की ट्रेनिंग के बाद सूरज को एक पिछड़े आदिवासी जिले में सहायक कलेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया। वहाँ जाकर उसने देखा कि गरीबी, अशिक्षा और कुपोषण का दंश कितना गहरा है। उसी वक्त सूरज ने ठाना लिया कि वह इस इलाके के विकास के लिए काम करेगा।

उसने आदिवासी समुदाय के लोगों के साथ मिलकर काम करना शुरू किया। उनकी समस्याओं को समझा और उनके विकास के लिए योजनाएँ बनाईं। शिक्षा का प्रसार किया, स्वास्थ्य सुविधाएँ बढ़ाईं, और कृषि कार्यों में सुधार लाने के लिए पहल की। कुछ ही समय में सूरज ने उस इलाके की तस्वीर बदल दी।

एक दिन गाँव के स्कूल में बच्चों को संबोधित करते हुए सूरज ने बताया, “मैं आप जैसा ही एक साधारण गाँव का लड़का था। गरीबी की वजह से मेरे सपने पूरे होने में मुश्किलें आईं, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मेहनत की और एक दिन सफलता हासिल की। आप भी मेहनत करो, पढ़ो-लिखो और अपने सपनों को पूरा करो।”

उसकी बातें सुनकर बच्चों की आँखों में सपने चमक उठे। सूरज का सफर एक प्रेरणा बन गया था, न सिर्फ गाँव के बच्चों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए जो किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानता और अपने सपनों को पाने के लिए निरंतर प्रयास करता है।

हमे इस कहानी के माध्यम से निम्नांकित सिख मिलती है ।

1 समस्याओं का डटकर  सामना करें ।
2 कठिनाइयों का  मुकाबला करें और धैर्य बनए रखे ।
3 नये अवसरों का पता लगाएं ।
4 आत्मविश्वास बनाएं रखें ।
5 प्रतिबद्धता और मेहनत से काम करें ।

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