MotivTIONAL STORY
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Motivational Short Story in Hindi : जलवायु परिवर्तन की आंधी में कम होती बारिश और बढ़ती गर्मी का सीधा असर जल स्तर पर पड़ रहा है। नतीजतन, सूखे का खतरा मंडरा रहा है और उपजाऊ ज़मीन धीरे-धीरे मरुस्थलीकरण की ओर बढ़ रही है। यह समस्या न सिर्फ कृषि को प्रभावित करती है, बल्कि पूरे पर्यावरण को खतरे में डालती है। ऐसे में जल संरक्षण मरुस्थलीकरण से लड़ने का एक मजबूत कवच है। आइए जानें कैसे कहानी में इसके पात्र ने बंजर होती जा रही जामीन को कैसे बचाया ।

बंजर धरती और राम का प्रण 

बारह साल का राम अपने गाँव सोनपुर, से अपना प्राथमिक विद्यालय जाता था।रास्ते में वीरान और बंजर होती जा रही जमीन उसके मन को विचलित करती थी ।  कभी लहलहाते खेतों और हंसमुख लोगों से भरा सोनपुर, अब जलवायु परिवर्तन की चपेट में आ गया था। कम होती बारिश, सूखती नदियाँ, और घटते जलस्तर ने गाँव का रूप ही बदल दिया था। पेड़ कम होते जा रहे थे, जिससे गर्मी बढ़ रही थी और चारों तरफ सूखापन छाया हुआ था। पहले की तरह अब बच्चों की हँसी कम सुनाई देती थी, उनकी जगह गाँव वालों की चिंता भरी बातें ज्यादा गूंजती थीं।

एक रात, राम को एक अजीब सा सपना आया। सपने में उसने देखा कि वह एक चमकती हुई मशीन में बैठा है, जो उसे तेजी से कहीं ले जा रही थी। कुछ ही देर में मशीन एक खूबसूरत घाटी में रुकी। राम बाहर निकला तो चारों तरफ हरियाली का साम्राज्य था। घने जंगल, ऊँचे-ऊँचे पेड़, लताओं से सजे पेड़ और रंग-बिरंगे फूलों से राम का मन मोहित हो गया। हवा इतनी मीठी थी कि उसे लगा जैसे वह स्वर्ग में आ गया हो। उसने पेड़-पौधों को गौर से देखा। पेड़ों की प्रजातियाँ अनोखी थीं, उनके पत्तों का आकार अजीब था, कुछ पेड़ों पर तो मीठे फल भी लगे हुए थे। राम ने पेड़ों की बनावट, उनके आसपास की मिट्टी, और वहां बहने वाली हवाओं को भी ध्यान से देखा। राम को यकीन नहीं हो रहा था कि धरती इतनी भी प्यारी और हरी-भरी हो सकती है । उसने पहली बार मोर को नाचते देखा । पास ही उसे आम का बागान नजर आया और उसने आम तोड़कर उसे खाने लगा । उसे बहुत अच्छा अहसास हो रहा था , मानो वह स्वर्ग में आ  गया हो ।

कुछ देर बाद, वह चौंक कर उठा। नींद खुलते ही उसे सपना याद आया। वह सपने में देखी हरियाली को भूल नहीं पा रहा था। उसने सोचा कि यह सपना या सच था, लेकिन पेड़ों और उस खूबसूरत जगह का चित्र उसके दिमाग में ताजा था। उसने अपने पिताजी, श्रीकृष्ण, को यह सब बताने का फैसला किया।

श्रीकृष्ण सोनपुर के गाँव के मुखिया थे। पढ़े-लिखे होने के साथ-साथ वह गाँव वालों के लिए एक मसीहा की तरह थे। राम ने सुबह उठते ही सपने की पूरी कहानी सुनाई और बताया कि उसने पेड़ों को कितनी गौर से देखा था। श्रीकृष्ण ने बेटे की बात ध्यान से सुनी। उन्हें लगा कि यह सिर्फ एक सपना ही है, लेकिन राम के उत्साह को देखते हुए उन्होंने बेटे की बात को गंभीरता से लिया। उन्होंने सोचा कि शायद राम के सपने में कोई सीख छिपी हो।

कुछ दिनों बाद, गाँव में कृषि विज्ञान पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में डॉक्टर शर्मा आईं, जो एक जानी-मानी पर्यावरण वैज्ञानिक थीं। श्रीकृष्ण ने राम को डॉक्टर शर्मा से मिलाने का फैसला किया। कार्यशाला के बाद उन्होंने डॉक्टर शर्मा को राम के सपने के बारे में बताया और राम को भी डॉक्टर शर्मा से बात करने के लिए कहा।

राम ने डॉक्टर शर्मा को सपने में देखी हरियाली के बारे में विस्तार से बताया। पेड़ों की बनावट, मिट्टी का रंग, और हवाओं की दिशा जैसी छोटी-छोटी बातों का जिक्र भी किया। डॉक्टर शर्मा राम की बातों को ध्यान से सुन रहीं थीं। राम की बातें सुनने के बाद डॉक्टर शर्मा ने कहा, “राम, तुम्हारा सपना वाकई में अजीब है। लेकिन तुम्हारे सपने में देखी गईं कुछ बातें पर्यावरण संरक्षण में हमारी मदद कर सकती हैं और हम सोनपुर को बंजर होने से बच सकते हैं ।

डॉक्टर शर्मा ने राम को समझाया कि कम बारिश वाले इलाकों में किस तरह के पेड़ लगाए जा सकते हैं, और किस तरह से मिट्टी को उपजाऊ बनाया जा सकता है। उन्होंने राम ,उसका पिता  श्रीकृष्ण एवं वहाँ मौजूद  गाँव वालों को पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूक किया और काम पानी में भी कैसे पेड़ लगाए जा सकते हैं उसपर विस्तार से चर्चा की ।

डॉक्टर शर्मा ने स्कूल में बच्चों को जलवायु परिवर्तन के बारे में बताया और यह भी बताया कि राम को कैसा सपना आया था। उन्होंने बच्चों को बताया कि पेड़ लगाना और जल संरक्षण कितना जरूरी है। राम के सपने की कहानी ने बच्चों को बहुत उत्साहित किया।

उस दिन से, राम और उसके सहपाठियों ने मिलकर पेड़ लगाने का अभियान शुरू कर दिया। इसमे उनका हाथ गाँव वाले भी बटा रहे थे । उन्होंने स्कूल के आसपास और गांव में खाली जगहों पर गड्ढे खोदे और उनमें राम के लाए हुए बीज और साथ ही आम के, नीम के और पीपल के पेड़ लगाए। उन्होंने गांव के लोगों को भी पेड़ लगाने के लिए जागरूक किया।

स्कूल के शिक्षकों एवं डॉक्टर शर्मा ने ग्रामीणों को पानी बचाने के तरीके भी बताए। उन्होंने बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए तालाबों और गड्ढों को खोदने के लिए प्रोत्साहित किया। साथ ही कम पानी में उगने वाली फसलों को लगाने के लिए भी सलाह दी। राम और उसके गाँव वालों ने बंजर जमीन को हर भर करने का सामूहिक प्रयास जो निमन्वत है ।

  • वर्षा जल संचयन: बारिश का पानी बचाना जल संरक्षण का सबसे कारगर हथियार है। पारंपरिक कुओं, तालाबों और टैंकों के निर्माण के साथ ही छतों से निकलने वाले वर्षा जल को भूमिगत जल भंडार तक पहुँचाने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम  गाँव वालों ने डॉक्टर शर्मा से सीखे हुए विधि को अपनाते हुए वर्षा से जल संचयन किया ।

  • कुओं का पुनर्जीवन: पुराने कुओं का जीर्णोद्धार करके जल स्तर को ऊपर उठाने में मदद लिया गया  । गाँवों में ग्रामीण समुदायों के सहयोग से ऐसे अभियान सोनपुर में चलाए गए जिससे पुराने कुओं का पुनर्जीवन किया गया ।

  • ड्रिप सिंचाई: खेतों में सिंचाई के लिए पारंपरिक तरीकों को छोड़कर ड्रिप सिंचाई अपनाना एक क्रांतिकारी कदम था । इसमें पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुँचता है, जिससे कम पानी में भी अच्छी फसल पैदा की जा सकती है। यह न सिर्फ जल बचाता है, बल्कि खेतों में खरपतवार भी कम उगते हैं। सोनपुर ग्राम वासी वों काम कर रहे थे जो शहर वाशी सोच भी नहीं सकते थे ।

  • जल-कुशल फसलें: ऐसी फसलों का चयन कर बुद्धिमानी का परिचय देते हुए गाँव वालों ने वों कर दिखाया  जो कम पानी में भी फलती-फूलती थी । ज्वार, बाजरा, मक्का, और दलहनी फसलें कम पानी वाली फसलों के अच्छे उदाहरण हैं। इन फसलों को अपनाकर जल बचाने के साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति

  • पेड़ लगाना – प्रकृति का सहारा: पेड़ लगाना मरुस्थलीकरण से लड़ाई में प्रकृति का सहयोग लेने जैसा है। पेड़ मिट्टी के कटाव को रोकते हैं और भूमिगत जल को बनाए रखने में मदद करते हैं। साथ ही, पेड़ वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प को आकर्षित करते हैं, जिससे बारिश होने की संभावना भी बढ़ जाती है। सभी गाँव वासी ने प्रति व्यक्ति 5 पेड़ लगाए ।

  • जल की बर्बादी रोकना: दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव लाकर जल की बर्बादी रोकी जा सकती है। नहाने के लिए शॉवर के बजाय बाल्टी का प्रयोग, दांत साफ करते समय नल बंद रखना, बर्तन धोने के लिए ज्यादा पानी न भरना, लीक पड़ते नलों की तुरंत मरम्मत करवाना – ये सभी छोटे कदम मिलकर जल संरक्षण में बड़ी भूमिका निभाते हैं जिसे सोनपुर ग्रामवासी ने अपने दैनिक जीवन में अपनाया ।

धीरे-धीरे गांव का नजारा बदलने लगा।  पेड़ तेजी से बढ़ने लगे। उनकी पत्तियां चौड़ी और हरी थीं। कुछ ही समय में, गांव के आसपास एक छोटा जंगल बन गया। अन्य पेड़ भी फलने-फूलने लगे। बारिश का पानी बचाने से जल स्तर धीरे-धीरे बढ़ने लगा।अब गाँव में पीने के पानी की दिक्कत नहीं थी ।

कुछ सालों बाद, राम बड़ा हो गया। उसने पर्यावरण पर बहुत अध्ययन किया और पर्यावरण संरक्षण का एक बड़ा विद्वान बन गया। राम के प्रयासों को देखते हुए उसे पर्यावरण संरक्षण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

यह पुरस्कार राम के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे गांव के लिए गर्व की बात थी। राम की कहानी यह बताती है कि कैसे एक छोटे से सपने और दृढ़ संकल्प से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। राम की कहानी हमें यह भी सीख देती है कि प्रकृति के संरक्षण के लिए हर किसी को कैसे एक दूसरे से  मिलकर काम करना होगा तभी हम अपनी धरती को बंजर होने से बचा  सकते हैं ।

 इस कहानी का मुख्य निष्कर्ष बिंदु जो हमे इस कहानी से सीखने को मिलती है,निम्न प्रकार है । 

कल्पना की शक्ति

युवा लड़के के परिवर्तनकारी स्वप्न अनुभव ने गहरा प्रभाव डाला, रचनात्मकता का एक स्रोत खोल दिया और उसकी महत्वाकांक्षा और प्रेरणा को बढ़ावा दिया। अपने रेगिस्तानी गाँव की सीमाओं से परे एक वास्तविकता की कल्पना करने की उसकी क्षमता ने उसे बॉक्स के बाहर सोचने, नई संभावनाओं को तलाशने और बेहतर भविष्य के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित किया।

सपनों का महत्व

 गांव के एक युवा लड़के का परिवर्तनकारी सपना, हमारे जीवन में सपनों के गहरे महत्व को दर्शाता है। सपनों में सकारात्मक बदलाव लाने और लोगों को उनके उद्देश्य और जीवन का अर्थ खोजने में मदद करने की ताकत होती है। इस लड़के की सपनों की दुनिया की यात्रा ने न सिर्फ उसे प्रेरित किया, बल्कि पूरे समुदाय को भी प्रभावित किया। इससे प्रेरित होकर, अन्य लोगों ने भी अपने सपनों का पीछा करना और बेहतर भविष्य के लिए काम करना शुरू कर दिया।

कल्पना की शक्ति और एक अलग वास्तविकता की कल्पना करने की क्षमता, किसी व्यक्ति और उसके आसपास के लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। सपनों की दुनिया से रचनात्मकता और जुनून का लाभ उठाते हुए, लड़का अपने रेगिस्तानी परिवेश की कठोर परिस्थितियों से पार पाने के लिए जरूरी लचीलापन और दृढ़ संकल्प पैदा करने में सफल रहा। यह सपनों को हकीकत मे  बदलने की ताकत और हमारे लक्ष्यों को आकार देने और व्यक्तिगत विकास को बढ़ाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका का प्रमाण है।

रचनात्मकता को अनलॉक करना

वास्तविकताओं से मुक्त होकर, लड़के की कल्पना सपनों की दुनिया में उड़ान भरने लगी।  इस नई रचनात्मक चिंगारी ने उसके भीतर संभावना की भावना को प्रज्वलित किया, जिसने उसे गाँव में अपने दैनिक जीवन को उद्देश्य और नवाचार की नई भावना के साथ जीने के लिए प्रेरित किया।

इस अद्भुत कहानी के अंत में पहुँचते हुए, हम सपनों की शक्ति और मानवीय भावना की दृढ़ता के प्रति गहरी सराहना के साथ रह जाते हैं। समय और स्थान के माध्यम से युवा लड़के की परिवर्तनकारी यात्रा ने न केवल हमें प्रेरित किया है बल्कि यह एक प्रेरक कहानी के स्थायी प्रभाव का प्रमाण भी है।

रेगिस्तानी समुदाय की कठोर परिस्थितियों में अपने परीक्षणों और कष्टों के दौरान, लड़के का अडिग दृढ़ संकल्प और विपरीत परिस्थितियों में भी आशा और अर्थ खोजने की उसकी क्षमता ने हमारे दिलों पर अमिट छाप छोड़ी है। उसकी कहानी एक अनुस्मारक है कि चाहे हम किन चुनौतियों का सामना करें, रेगिस्तानी समुदायों में या कहीं और, सपनों की शक्ति और हमारी आकांक्षाओं का पीछा करना वह मार्गदर्शक प्रकाश हो सकता है जो हमें आगे बढ़ाता है।

इस प्रेरणादायक कहानी को अलविदा कहते हुए, हम एक नया उद्देश्य और उस लचीलेपन और दृढ़ता के लिए गहरी सराहना के साथ रह जाते हैं जो हम सभी के अंदर पाए जा सकते हैं। लड़के की यात्रा को एक अनुस्मारक बनने दें कि हमारे सपनों में हमारी परिस्थितियों की सीमाओं को पार करने और अनंत संभावनाओं से भरा भविष्य बनाने की शक्ति है। उम्मीद है कि उसकी कहानी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी, उन्हें सपनों की शक्ति को अपनाने और उनके रास्ते में आने वाली बाधाओं को पार करने के लिए सशक्त बनाएगी।

 

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