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रामू किसान और नदी के किनारे का रहस्य

एक समय की बात है, एक छोटा सा गाँव था जिसका नाम था शांतिनगर। इस गाँव में रामू नाम का एक किसान अपने परिवार के साथ रहता था। रामू का खेत गाँव के पास ही एक बड़ी  नदी के किनारे था। वह अपने खेत में विभिन्न प्रकार की सब्जियाँ उगाता था और अपनी मेहनत से अपनी और अपने परिवार की जीविका चलाता था। उसकी खेती की तकनीकें और मेहनत उसे गाँव का सबसे प्रसिद्ध किसान बनाती थीं।

खरगोशों से  परेशानी

एक दिन रामू ने देखा कि उसकी ताजा उगी सब्जियों में कई सब्जियाँ गायब थीं और कई आधी खाई हुई थीं। वह समझ नहीं पा रहा था कि यह किसकी करतूत है। एक रात उसने अपनी फसल की रखवाली करने का फैसला किया। जैसे ही रात गहरी हुई, रामू अपने खेत के किनारे एक पेड़ के पीछे छिप गया और देखता रहा।

आधी रात के समय, उसने देखा कि कुछ खरगोश उसके खेत में घुसकर सब्जियाँ खा रहे थे। रामू को बहुत गुस्सा आया, लेकिन उसने खुद को शांत रखा और अगले दिन उन खरगोशों को पकड़ने की योजना बनाई। उसने अपने खेत के चारों ओर कांटेदार तारों की बाड़ बना दी, ताकि कोई जानवर अंदर न आ सके।

हिरण का जाल में फँसना

अगले दिन रामू अपने खेत में गया और देखा कि कुछ खरगोश और एक छोटा हिरण उस कांटेदार तार में फँस गए थे। रामू ने उन सभी को पकड़ लिया। उन खरगोशों को देखकर रामू के मन में विचार आया कि ये नन्हे जानवर उसकी फसल को बर्बाद कर रहे हैं और वह उन्हें सबक सिखाएगा।

लेकिन तभी वह छोटा हिरण, जो अन्य जानवरों के साथ फँसा हुआ था, बोला, “कृपया मुझे छोड़ दीजिए। मैंने आपकी फसल को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया है। मैं तो बस यहाँ से गुजर रहा था और गलती से इस जाल में फँस गया। मैं तो नदी के किनारे घास चरता हूँ। मुझे छोड़ दीजिए।”

रामू का गुस्सा

रामू ने गुस्से में कहा, “तुम्हारी बात सही हो सकती है, लेकिन आज तुम उन खरगोशों के साथ पकड़े गए हो जो मेरी फसल बर्बाद कर रहे थे। तुम उनके साथ हो, इसलिए तुम्हें भी सजा मिलेगी।”

हिरण ने फिर से विनती की, “मुझे उन खरगोशों से कोई मतलब नहीं है। मैं तो अकेला ही अपने रास्ते जा रहा था। कृपया मुझे छोड़ दीजिए।”

रामू कुछ देर सोचने लगा। उसने हिरण की बात सुनी, लेकिन उसके मन में एक संशय था। वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे। उसने सोचा, “अगर मैं इसे छोड़ दूं और यह सच में खरगोशों के साथ आया हो, तो यह फिर से मेरी फसल को नुकसान पहुँचा सकता है।”

गाँव के बुजुर्ग का सुझाव

रामू ने सोचा कि वह गाँव के बुजुर्ग, दादू से सलाह लेगा। दादू गाँव के सबसे बुद्धिमान और अनुभव से भरे व्यक्ति थे। उन्होंने कई सालों तक खेती की थी और अपने अनुभवों से गाँववालों की मदद करते थे। रामू हिरण और खरगोशों को लेकर दादू के पास पहुँचा।

दादू ने सब बातें ध्यान से सुनीं और फिर बोले, “रामू, यह सच है कि हमें अपने खेत की रक्षा करनी चाहिए। लेकिन यह भी सच है कि कभी-कभी निर्दोष लोग भी गलतफहमी का शिकार हो जाते हैं। इस हिरण की बात सुनो। यदि यह निर्दोष है तो इसे सजा देना उचित नहीं है।”

रामू ने दादू की बातों पर विचार किया और कहा, “तो मुझे क्या करना चाहिए, दादू?”

दादू मुस्कराए और बोले, “हमें यह देखना चाहिए कि क्या यह हिरण सच बोल रहा है। तुम इसे छोड़ दो और देखो कि यह कहाँ जाता है। यदि यह सीधे नदी की ओर जाता है और घास चरता है, तो यह निर्दोष है। लेकिन अगर यह वापस खेत में आता है, तो इसे सजा मिलनी चाहिए।”

सत्य की परीक्षा

रामू ने दादू की सलाह मानी और हिरण को छोड़ दिया। उसने दूर से देखा कि हिरण सच में नदी की ओर चला गया और घास चरने लगा। रामू ने राहत की साँस ली और समझ गया कि हिरण निर्दोष था।

लेकिन उसने यह भी देखा कि कुछ खरगोश फिर से उसके खेत में घुसने की कोशिश कर रहे थे। रामू ने तत्काल एक योजना बनाई। उसने खेत के चारों ओर एक और मजबूत बाड़ बनाई और खरगोशों को पकड़कर जंगल में दूर छोड़ दिया, ताकि वे फिर कभी उसके खेत में न आ सकें।

सीख और समझ

इस घटना के बाद रामू को एक महत्वपूर्ण सीख मिली। उसने यह समझा कि सभी को एक ही तराजू में तोलना सही नहीं होता। हमें हमेशा हर किसी की स्थिति को समझने और उसे सुनने का प्रयास करना चाहिए। बुरे संगत में रहने से अच्छे लोगों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, लेकिन हमें न्याय और करुणा के साथ सही निर्णय लेने की कोशिश करनी चाहिए।

रामू ने अपनी इस सीख को पूरे गाँव में साझा किया और सभी गाँववाले उससे प्रेरणा लेने लगे। रामू का खेत अब सुरक्षित था और उसकी फसल भी अच्छी हो रही थी। उसने अपनी मेहनत और बुद्धिमानी से अपने खेत को फिर से हरा-भरा बना लिया और गाँव के लोग उसकी प्रशंसा करने लगे।

अंत में

रामू की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि न्यायप्रियता, समझदारी और सही फैसले लेने से हम किसी भी समस्या का समाधान पा सकते हैं। हमें हमेशा दूसरों की परिस्थितियों को समझने का प्रयास करना चाहिए और सही मार्गदर्शन की तलाश करनी चाहिए। रामू की मेहनत और उसकी सीख ने न केवल उसके खेत को सुरक्षित किया, बल्कि पूरे गाँव को एक महत्वपूर्ण शिक्षा भी दी ।

 

 

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